जीएसटी एक तरह का अप्रत्यक्ष(इनडायरेक्ट) कर है, जिसने भारत में बहुत सारे अप्रत्यक्ष करों की जगह ली। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स एक्ट संसद में 29 मार्च 2017 को पास किया गया था, जो 1 जुलाई 2017 से लागू हुआ।
जीएसटी की विशेषताएं:
जीएसटी एक बहु-चरणी, गंतव्य-आधारित टैक्स है, जो अलग-अलग मूल्यों को अलग-अलग चरणों में जोड़ता है।
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बहु-चरणी:
कोई भी सामान जैसे अपने सप्लाई चेन से होकर गुज़रता है, तो वह अलग-अलग लोगों से होकर जाता है, उत्पादक से लेकर सामान खरीदने वाला ग्राहक तक।
आइए कुछ इस तरह के मामलों को देखते हैं:
- कच्चे माल की खरीदी
- उत्पादन या निर्माण
- बन चुके सामान को गोदाम में रखना
- थोक विक्रेता को बेचना
- फुटकर विक्रेता को बेचना
- ग्राहक को बेचना
जीएसटी इन सभी चरणों में लगेगा, मतलब यह एक तरह का बहु-चरणी टैक्स है।
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वैल्यू एडिशन:
जीएसटी वैल्यू एडिशन पर लगाया जाएगा मतलब आखिरी ग्राहक को बिक्री लेने के लिए हर चरण में जोड़ा गया उसका आर्थिक मूल्य।
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गंतव्य से जुड़ा हुआ:
मान लीजिए कोई सामान महाराष्ट्र में बनाया गया है और कर्नाटक में किसी ग्राहक को बेचा जा रहा है। क्योंकि वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) आखिरी इस्तेमाल करने वाले पर जोड़ा जाता है, जैसे इस मामले में कर्नाटक, तो कर से होने वाली पूरी आय कर्नाटक के पास जाएगी, ना कि महाराष्ट्र के पास।
जीएसटी के प्रकार:
जीएसटी तीन तरह का होता है, जो अलग-अलग चरणों में लिया जाता है।
- सीजीएसटी: यह केंद्र सरकार के द्वारा लिया जाता है, जब कोई भी बिक्री राज्य के अंदर हो। (जैसे कि केवल महाराष्ट्र के अंदर किया गया लेन-देन)
- एसजीएसटी: यह राज्य सरकार द्वारा लिया जाता है, जब कोई भी बिक्री राज्य के अंदर हो। (जैसे कि केवल महाराष्ट्र के अंदर किया गया लेन-देन)
- आइजीएसटी: यह केंद्र सरकार द्वारा लिया जाता है, जब कोई भी अंतर-राज्यीय बिक्री हो। (जैसे कि महाराष्ट्र से तमिलनाडु तक)
राज्यों के अंदर होने वाली बिक्री से प्राप्त हुआ धन केंद्र (सीजीएसटी) और राज्यों (एसजीएसटी) के बीच बांटा जाता है। जब दो राज्यों के बीच इसी तरह की बिक्री होती है, तो केवल एक कर (आइजीएसटी) लगेगा। इस मामले में केंद्र सरकार सामान के गंतव्य के अनुसार राजस्व बांटेगी।
जीएसटी ने इन करों का स्थान लिया है:
- केंद्रीय एक्साइज ड्यूटी
- एक्साइज की ड्यूटी
- एक्साइज की अतिरिक्त ड्यूटी
- कस्टम की अतिरिक्त ड्यूटी
- कस्टम की अतिरिक्त स्पेशल ड्यूटी
- सेस
- राज्य स्तरीय वैट
- केंद्रीय बिक्री कर(सेल्स टैक्स)
- खरीदी कर
- लक्ज़री कर
- मनोरंजन कर
- विज्ञापन कर
- प्रवेश कर
- लॉटरी, जुआ और बाजी कर
जीएसटी के द्वारा क्या बदलाव लाए गए हैं:
जीएसटी कर लेने में मदद करेगा और साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था में से अप्रत्यक्ष कर की दीवारें हटाने का काम करेगा, जिससे पूरे देश में एक समान कर लागू हो सके और राज्यों के बीच की कर बढ़ा हटाई जा सके।
जीएसटी से पहले किसी भी तरह का कर हर चरण में लगता था, जिसे ग्राहक को अंतिम चरण में देना होता था। इसे कैस्केडिंग इफ़ेक्ट ऑफ टैक्स कहा जाता है, जिसमें टैक्स के उपर एक टैक्स दिया जाता है और सामान का मूल्य हर समय बढ़ता रहता है। जीएसटी के साथ ऐसा नहीं है।
इसके अलावा वस्तु एवं सेवा कर के मामले में, इनपुट प्राप्त करने में भुगतान किए गए कर के लिए क्रेडिट का दावा करने का एक तरीका है। जिन लोगों ने अपना टैक्स जमा कर दिए है, वह जब वह अपने करेंगे, तो इस कर के लिए क्रेडिट का दावा कर सकते हैं।
अंत में, जब भी कोई इनपुट कर क्रेडिट का दावा करता है, तो बिक्री मूल्य कम हो जाता है और खरीदने वाले के लिए उस सामान की कीमत कम हो जाती है, कम कर-दायित्व के कारण।
इसके अलावा, अलग-अलग राज्यों में चेकपॉइंट्स के गायब होने के साथ ही वस्तु और सेवाओं का आदान-प्रदान आसान हो गया है।
जीएसटी ने एक देश-स्तरीय मार्केट बनाया है, भारत में व्यापार करना आसान किया है,
बेहतर उत्पादकता और दक्षता और टैक्स देने वालों को टैक्स का पालन करना सिखाया है।
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