जीएसटी को 1 जुलाई, 2017 को लागू किया गया था। इसके शुरू होने से पहले, कई टैक्स लगाए जाते थे, जिनका जीएसटी शुरू होने के बाद केवल एक जीएसटी बनाने के लिए इसमें विलय कर दिया गया था।
इसके शुरू होने के बाद से, कुछ ऐसे बदलाव हैं जो किए गए हैं।
नीचे कुछ ऐसे परिवर्तन दिए गए हैं जो इस वर्ष (2019) में किए गए हैं:
1. बढ़ी हुई पारदर्शिता
टैक्स देने वाले को रिटर्न फाइल करते समय कैश-बुक और इनपुट क्लेम (आईटीसी) की जानकारी मिलेगी। टैक्स देने वाले जीएसटी पोर्टल के माध्यम से टैक्स की जानकारी भी जान सकेंगे जो इससे पहले एक मुश्किल प्रक्रिया हुई करती थी।
इसके अलावा, रिटर्न 3बी में बदलाव के कारण, जैसे ही एक व्यापार का स्वामी अपना टर्नओवर वेबसाइट में भरेगा, तुरंत ही सीजीएसटी और आईजीएसटी की गणना पोर्टल पर हो जाएगी।
2. एसएमई को फ़ायदा
ऐसे व्यापार जिनका कारोबार 40 लाख रुपये या उससे कम का है, उन्हें जीएसटी पंजीकरण में छूट दी गई है, इसका फ़ायदा उन सभी व्यापारों को मिलेगा जिनका टर्नओवर 40 लाख रुपये या उससे कम का है।
पहाड़ी क्षेत्रों और उत्तर-पूर्वी राज्यों में जीएसटी पर छूट 10 लाख रुपये है।
3. कंपोजिशन स्कीम
कंपोजिशन स्कीम के अनुसार, टैक्स देने वालों को हर महीने रिटर्न दाखिल नहीं करना होगा।
इस योजना में पंजीकृत टैक्स देने वालों को एक निश्चित रेट पर टैक्स भरना होगा, जो उसके व्यापार के कारोबार पर निर्भर करेगा। इस योजना के कारण, जीएसटी रिटर्न हर महीने नहीं बल्कि हर तिमाही में भरना होगा। यह योजना उन व्यापारियों के लिए काफी अच्छी है, जिनका कारोबार एक करोड़ रुपये से कम का है।
इस योजना के अनुसार, व्यक्ति को GSTR-4 फॉर्म में हर तिमाही ख़त्म होने के 18 दिन पहले रिटर्न भरना होगा।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि अगर साल भर कोई भी लेन-देन नहीं होता है, तब भी टैक्स देने वाले को हर तिमाही और सालाना रिटर्न भरना होगा।
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