भारत में महिला उद्योजकों को कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है| सबसे पहले तो परिवार व समाज से अपेक्षित स्वीकृती नही मिलती| खास तौर पर जब व्यवसाय की शुरुवात हो रही होती है तो ज्यादा तकलीफों का सामना करना पड़ता है| अक्सर इसका कारण होता है समाज में पुरुष और महिलाओं के बीच पारंपारिक असमानता| इसके अलावा भी व्यवसाय के विस्तार में महिला उद्योजिकाओं को कई और बाधाएं आती हैं, जैसे…
1. समाज से समर्थन नहीं मिलता: आजकल नारी शक्ति की तरफ सबका ध्यान आकर्षित है, पर उसके बावजूद समाज के पारंपारिक रिवाज कुछ ऐसे हैं कि महिलाओं अपने निर्णय लेने की आजादी नही होती है|
2. आर्थिक मदद नहीं मिल पाती – साधारणतः पैसों के मामले में महिलाएं अपने परिवार पर निर्भर होती हैं, और वित्तीय मदद के लिए बैंक से ऋण लेने की कोशिश करती हैं| लेकिन महिलाओं को ऋण देने से बैंक हिचकिचाती हैं क्योंकि ज्यादातर महिलाओं के पास खुद के नाम पर संपत्ति नहीं पाई जाती है| अगर व्यवसाय में मुनाफा कम होता है या फिर व्यवसाय डूब जाता है, तो बैंक ऋण की रकम वापिस नहीं ले पाती है|
अक्सर तो NBFC और वित्तीय संस्थाओं के बारे में या फिर महिला उद्योजकों के लिए विशेष रूप से तैयार की गयी योजनाओं के बारे में महिलाओं को जानकारी ही नहीं होती है|
३. व्यवहार का तजुर्बा नहीं होता: कुछ मशहूर महिला उद्योजिकाओं का उदाहरण छोड़कर, महिलाओं को व्यवसाय के बारे में मार्गदर्शन करने वाली उद्योजिकाएं दुर्लभ होती हैं|
४. औद्योगिक मानसिकता की कमी होना: शायद यह मुद्दा विवादित होगा, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि महिलाएं वेतन वाली नौकरी चुनती हैं, जहाँ कार्य का समय निर्धारित हो, नियमित वेतन मिलता रहे, और हर साल छुट्टी के दिन तय हों ताकि एक सुरक्षित सा माहौल हो|
लेकिन फिर भी, कठिनाईयों का सामना कर, जबरदस्त मेहनत और लगन दर्शानेवाली महिला उद्योजिकाओं के उदाहरण हमारे सामने हैं जो महत्त्वाकांक्षी महिलाओं के लिए आदर्श बन सकती हैं| इन महिलाओं ने पारंपारिक प्रथा को ठुकराकर ऐसे क्षेत्रों में यश पाया है जिसमें पुरुषों का वर्चस्व हुआ करता था| उन्होंने ऐसे नए क्षेत्रों में भी प्रवेश किया है जहाँ साधारणतः व्यवसाय स्थापित नहीं किये जाते थे|
चलिए ५ ऐसे उद्योजिकाओं का उदाहरण देखते हैं जिनका नाम जल्द ही मशहूर महिला उद्योजिकाओं के साथ जुड़ेगा|
पारंपरिक प्रथा और सामाजिक व्यवस्था को ठुकराने वाली ५ महिला उद्योजिकाएं
मनिषा रायसिंघानी, सह-संस्थापक, लॉजिनेक्स्ट सोल्युशन्स
कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटीसे २००९ में बिग डाटा व अनॅलिटिक्स की शिक्षा प्राप्त करके मनिषा रायसिंघानी ने IBM कन्सल्टिंग में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में काम किया| UPS द्वारा लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में ट्रकों में इस्तेमाल किये जाने वाले ओरायन (ऑन रोड इंटेग्रेटेड ऑप्टिमाइजेशन अँड नॅविगेशन) सॉफ्टवेअर में मनिषा की विशेष रुचि थी| उसी कोर्स में उनके सहकारी रहे ध्रुविल संघवी और उन्होंने मिलकर UPS की यह तकनीक का बाकी देशो में कैसे उपयोग किया जा सकता हैं इस पर विचार शुरू किया| जनवरी २०१४ में दोनों ने अपनी नौकरी छोड़कर ७० हजार डॉलर का निवेश किया और ६-७ महीनों में शून्य से शुरुवात कर नया उत्पाद निर्माण किया और इस तरह लॉजिनेक्स्ट सोल्युशन्स की शुरुवात हुई|
मनिषा या मानतीं हैं की बी2बी और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में महिलाओं की कमी होना बहुत बड़ी चुनौती है| भविष्य में नेतृत्व कर सकें और सब को समान मौका मिले इसलिए मनिषा टीम में पुरुष व महिला सदस्यों की संख्या में संतुलन बनाए रखने की कोशिश करतीं हैं| उद्योजिका बनने के उनके प्रयत्नों को प्रोत्साहन देने के लिए मनिषा अपने परिवार की शुक्रगुजार हैं|
वर्तमान में फ्लिपकार्ट और पेटीएम सहित करीब 60 कम्पनियों के साथ लॉजिनेक्स्ट काम करती है|
अश्विनी असोकन, सह-संस्थापिका, मॅड स्ट्रीट डेन
अश्विनी ने अपने पति आनंद चंद्रसेकरन के साथ मॅड स्ट्रीट नाम के क्लाऊड-बेस्ड प्लॅटफॉर्म की स्थापना की| उनकी कंपनी के उत्पाद में आर्टिफिश्यल इंटेलिजेंस का उपयोग कर किसी भी कॅमेरा वाले स्मार्टफोन से इंसान की शक्ल पहचानी जा सकती है| इस से चेहरे पर दिखने वाले भाव और भावना भी समझ में आ सकते हैं और इशारों का उत्तर दिया जा सकता है| अश्विनी ने अपनी काम की शुरुवात इंटेल के सिलिकॉन व्हॅली में स्थित इंटरअॅक्शन अँड एक्सपिरियंस लॅब (IXR) के मोबाइल इनोवेशन टीम के प्रमुख के रूप में की थी|
अश्विनी का दृढ़ मत है कि सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की रचना मुख्यत: पुरुषों के जीवनशैली के अनुरूप की गयी है| घर संभालने और बच्चों की परवरिश के लिए उस जीवनशैली में जगह नहीं है| स्तनपान करने वाली माताओं के लिए सुविधा और योजना के अभाव में महिलाओं को काम का बोझ उठाना मुश्किल हो जाता है और वह काम में प्रगति नहीं कर पातीं हैं| MSD में बच्चे संभालने की विशिष्ट जगह है और महिला व पुरुषों की संख्या समान रखने की कोशिश की जाती है| अश्विनी के इस कोशिश से महिलाओं को प्रगति करने में मदत मिलती है और वह पुरुषों के साथ प्रतियोगिता कर सकती हैं|
देबदत्ता उपाध्याय , मुख्य कार्यपालक अधिकारी , टाइमसेवर्ज
यूनिवर्सिटी में उत्तम गुणवत्ता प्राप्त करने वाली देबदत्ता ने अंग्रेजी साहित्य व पत्रकारिता में स्नातकोत्तर पढाई पूरी की है| टाइमसेवर्ज घर के काम के संबंधित भारत में पहला ऑनलाइन बाजार है| देबदत्ता ने टाइम्स ऑफ इंडिया में, याहू! में सेल्स व सेल्स स्ट्रॅटेजी की मुख्य अधिकारी और वीडोपिया में वाइस प्रेसिडेंट, एशिया पॅसिफिक के पद संभाले हैं| अपने कार्य में गुणवत्ता के लिए उन्हें याहू! रत्न व इंदिरा सुपर अचीवर पुरस्कार प्रदान किया गया है| महिला उद्योजिकाओं को प्रोत्साहन देनेवाली FICCI FLO मुंबई चॅप्टर की ‘स्वयं’ योजना में देबदत्ता का सक्रिय सहभाग रहा है|
एक ही समय पर गृहिणी, माता और व्यावसायिक भूमिका में संतुलन बनाये रखना देबदत्ता के लिए बहुत बड़ी चुनौती थी और इसी वजह से टाइमसेवर्ज की संकल्पना निर्माण हुई| उनका कहना है कि अन्य उद्योजिकाओं से सलाह और मदद लेने से चुनौतियों का सामना करना आसान हो जाता है|
नीतू भाटिया, मुख्य कार्यपालक अधिकारी, क्याझूंगा
इनवेस्टमेंट बँकर रह चुकी नीतू भाटिया एक सफल महिला उद्योजिका भी बनी और उन्होंने भारत की पहली व सबसे बड़ी खेल और मनोरंजन कंपनी क्याझूंगा की स्थापना २००७ में की थी| क्याझूंगा ने २०११ के आईसीसी क्रिकेट विश्व कप, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट और ऑलिंपिक खेलों के टिकिट बिक्री का आयोजन किया है| नीतू वॉल स्ट्रीट पर वरिष्ठ मीडिया व टेलीकॉम इनवेस्टमेंट बँकर रह चुकी हैं| टाइम वॉर्नर, गूगल, कॉमकास्ट, केबलविजन, वेरायझन, सिंगूलर, एटी&टी व अन्य कंपनियों में नीती आणि वित्तीय व्यवहार के लिए वह ज़िम्मेदार थी|
नीतू राष्ट्रीय स्तर की क्रिकेट खिलाड़ी थी, जिन्हें सातवी कक्षा में महाराष्ट्र राज्य के कनिष्ठ टीम का कप्तान नियुक्त किया गया था| खेल के प्रति उत्साह की वजह से नीतू ने आगे चलकर कंपनी स्थापित की और बहुत सफलता पाई|
अनु श्रीधरन, मुख्य कार्यपालक अधिकारी, नेक्स्ट ड्रॉप
अनु नेक्स्टड्रॉप कंपनी की सह संस्थापिका हैं| यह कंपनी पानी पूर्ति व्यवस्था की जानकारी इकट्ठा करके आम नागरिक व पूर्ती सेवा व्यवस्था को प्रदान करती है| नेक्स्टड्रॉप कंपनी की शुरुवात २०११ में हुई थी| कंपनी के वाल्वमेन हर रोज जलाशय में पानी का स्तर नापतें हैं और यह जानकारी पानी अभियन्ता को पहुचाई जाती है ताकि वे पानी छोडने का समय, जगह व प्रमाण निश्चित कर सके|
अनु ने विकसनशील देशों में “औप्टिमायजेशन ऑफ पाईप्ड नेटवर्क सिस्टम्स” विषय पर यूनिवर्सिटी ऑफ कॅलिफोर्निया बर्कले में संशोधन किया था और उसी वजह से वह भारत वापस आईं| अनु का मानना है की विदेशी होने के कारण उन्हें बाकी महिला उद्योजिकाओं की तरह आर्थिक मदद और संसाधन प्राप्त करने में बाधा नहीं आयी|
यह ५ प्रतिभाशाली महिलाएं तो भारत की महिला उद्योजिकाओं की असीमित क्षमता की एक छोटी सी झलक है| वित्तीय व व्यावहारिक ज्ञान और संसाधन उपलब्ध होने से महिला उद्योजिकाएं अपने सपने साकार कर सकती हैं और पुरुषों के साथ प्रतियोगिता कर उनसे आगे भी निकल सकती हैं|
अगर आप एक स्थापित व्यवसाय चलाने वाली महत्त्वाकांक्षी महिला उद्योजिका हैं और व्यवसाय का विस्तार करना चाहती हैं, तो आज ही ग्रोमोर से संपर्क कीजिये!